तकरीबन आठ माह का हो चुका है, कोरोना (Corona) यानी Covid-19।
चीन के वुहान में जन्मा यह वायरस जब से पैदा हुआ है तब से तबाही मचा रहा है। देश में corona से अब तक 68 हज़ार से अधिक मौतें हो चुकी हैं। इस बीमारी ने तो जादूगर 'हैरी पॉटर' को भी नहीं छोड़ा। वह भी चपेट में आ गए।
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भारत दुनिया का तीसरा देश है, जहां सबसे ज्यादा जानें गई हैं। अगस्त में 28 हज़ार से ज्यादा लोगों की जान इस कोरोना ने ले ली। इससे पहले जुलाई में 36 हज़ार से ज्यादा लोगों ने दम तोड़ा था। कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, तेलंगाना आदि में भी लगातार मौतें हो रही हैं।
Corona की ही तरह एक और वायरस है, जो दिन-ब-दिन तंत्र को खोखला कर रहा है। वह वायरस है corruption, यानी भ्रष्टाचार का! इसका संक्रमण नया नहीं है, इसका इतिहास काफी पुराना है। फर्क सिर्फ इतना है कि जिसे कोरोना हो जाए लोग उससे दूरी बना लेते हैं, लेकिन ऐसे गिने चुने ही होंगे जो corrupt लोगों के करीब न आना चाहते हों। जान तो corruption भी लेता है, बस जरिया किसी और को बनाता है।
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बाबरनामा में उल्लेख है कि कैसे मुट्ठीभर बाहरी हमलावर भारत की सड़कों से गुजरते थे और दोनों किनारों पर खड़े लाखों लोग मूकदर्शक बने देखते रहते थे। अगर ये मूकदर्शक ही उन मुट्ठीभर लोगों पर टूट पड़ते तो भारत की स्थिति कुछ और होती। पलासी की लड़ाई में भी यही हुआ। एक तरफ 50 हज़ार की सेना थी और दूसरी ओर 3000 सिपाहियों के साथ खड़े अंग्रेज। फिर भी अंग्रेज जीते। कारण था corruption (भ्रष्टाचार)। निश्चित तौर पर चंद भ्रष्ट लोगों की वजह से हज़ारों ने जान गंवाई होगी!
प्रधानसेवक कह रहे हैं, 'कारोबारी देश को खिलौना हब बनाएं'। यहां कुछ ऐसे कारोबारी हैं जिन्होंने देश के सिस्टम को ही खिलौना बना रखा है। वह पूरे तंत्र से खेल रहे हैं। 'पबजी' सहित 224 App पर बैन लगाकर केंद्र सरकार ने चीन को आर्थिक झटका दिया है, लेकिन उनका क्या जो सरकारी जमीन, नदी-नालों पर कब्जा कर देश को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं।
कोरोना काल में गरीबों के राशन में भांजी मारने वाले भी यहीं हैं और ट्रांसफर-प्रमोशन के नाम पर हाथ की खुजली मिटाने वाले भी! सबसे बड़ी बात ये कि ऐसे लोग जानते हैं कि वे अपराध कर रहे हैं। उन्हें पता है कि नदी-नाले को दबाना, सरकारी पैसे का गलत इस्तेमाल करना और सरकारी दस्तावेजों से खिलवाड़ करना अपराध है। फिर भी वे निडर होकर करते हैं।
उन्हें पता है कि जनसेवा की दुहाई देकर कुर्सी पर बैठने वाले 'घोड़ों' से उन्हें कोई खतरा नहीं। चने की मात्रा से इनका ईमान खरीदा जा सकता है।
अच्छी खबर ये है कि corona की रफ्तार के साथ vaccine बनाने का काम भी तेजी से चल रहा है। हैदराबाद की जीनोम वैली एशिया की सबसे बड़ी फार्मा क्लस्टर है, जहां करीब तीन बड़ी कंपनियों के एक हज़ार से ज्यादा वैज्ञानिक दिनरात मेहनत कर corona vaccine बनाने में लगे हुए हैं। खबरों की मानें तो corona की vaccine कहीं भी ईजाद हो लेकिन दुनिया की आधी यानी 400 करोड़ आबादी को दी जाने वाली डोज़ जीनोम वैली में बन सकती है।
काश! इस corona के साथ corruption की भी कोई vaccine बना दी जाए, ताकि भयावह बीमारी के साथ सिस्टम को खोखला करने वाले इस वायरस से भी छुटकारा मिले।
यहां हर्ड इम्युनिटी से भी उम्मीद है। कहते हैं किसी समाज या किसी समूह के कुछ प्रतिशत लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाए, तो इसके माध्यम से संक्रामक रोगों के प्रसार को रोका जा सकता है। अवधारणा यह है कि यदि पर्याप्त लोग प्रतिरक्षित (Immune) हों तो किसी समाज या समूह में रोग के फैलने की श्रृंखला को तोड़ा जा सकता है और इस प्रकार रोग को उन लोगों तक पहुंचने से रोका जा सकता है, जिन्हें इससे सबसे अधिक खतरा हो या जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है।
ऐसे में उम्मीद बंध जाती है, उन साथियों से जो भ्रष्ट सिस्टम को ठेंगा दिखाकर विकास की नई इबारत लिख रहे हैं। फिर चाहे वह खैरागढ़ में सतत जारी निर्मल त्रिवेणी महाभियान हो या गो रक्षा सेवा समिति की मुहिम। वह छुईखदान के जय जगन्नाथ सेवा समिति का संकल्प हो या गंडई के युवाओं की शपथ।
Corona का तो पता नहीं, परंतु corruption को हर्ड इम्युनिटी के जरिए जरूर खत्म किया जा सकता है। क्योंकि vaccine बना भी लिए तो नई सुई (needle) ईजाद करनी पड़ेगी, चमड़ी काफी मोटी है ना!
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