×

Warning

JUser: :_load: Unable to load user with ID: 807

झोलाछाप इलाज ने ली जान; पर्ची लिखी नहीं और मरीज को दी शेड्यूल-H1 दवा, सरकारी अस्पताल से बनाए रखी दूरी Featured

खैरागढ़ में झोलाछाप डॉक्टर के इलाज से गई राजफेमली वार्ड के 32 वर्षीय युवक की जान, परिजनों का हाल बेहाल और इलाज करने वाले कथित डॉक्टर देवीलाल भवानी का फोन स्विच ऑफ…

पाइल्स के झोलाछाप इलाज ने खैरागढ़ राजफेमली निवासी 32 वर्षीय आदर्श पिता कृष्णजय सिंह (किन्ना) की जान ले ली। इसका प्रमाण यह है कि पाइल्स का ऑपरेशन करने वाले कथित डॉक्टर युवक को प्रिस्क्रिप्शन (दवा की पर्ची) नहीं दी। सारी दवाइयां साथ लेकर आए। इसमें दर्दनिवारक दवाओं के अलावा शेड्यूल-H1 दवाएं भी शामिल थीं, जिसे नियमत: वे लिख भी नहीं सकते और उनके लिखने के बावजूद मेडिकल स्टोर्स से यह दवाइयां नहीं मिलतीं।

यहां क्लिक कर पढ़ें: झोलाछाप डाक्टर ने किया पाइल्स का ऑपरेशन, दो दिनों तक निकला खून, चौथे दिन हुई युवक की मौत

आशंका है कि पोल खुलने के डर से ही हालात बिगड़ने के बावजूद मरीज को सरकारी अस्पताल नहीं ले जाने दिया गया। दर्द दबाने के लिए दवा देते रहे, लेकिन सही उपचार की सलाह न ऑपरेशन करने वाले कथित डॉक्टर भवानी ने दी और न ही इंजेक्शन लगाने पहुंचे अरुण भारद्वाज ने।

युवक की चचेरी बहन दीपाली सिंह बार-बार सरकारी अस्पताल जाने की बात दोहराती रही, लेकिन उसे नजरअंदाज किया गया। जब तक बाहर ले जाने का फैसला लिया गया, मरीज की हिम्मत जवाब दे चुकी थी। इसके बाद भी सीधे जिला अस्पताल पहुंचने की बजाय राजनांदगांव के यूनाइटेड हॉस्पिटल का रुख किया गया।

दीपाली का कहना है कि अगर दोनों (भवानी व भारद्वाज) में से एक भी यह कह देते कि इसका इलाज उनके बस का नहीं है, तो वह अपने भाई को लेकर सरकारी अस्पताल चली जाती। भवानी ने हर बार आश्वस्त किया। आखिर में खून की जरूरत बताकर बाहर ले जाने की बात कही और सीधे राजनांदगांव ले गए। इस बारे में बात करने के लिए डॉ. भवानी से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका मोबाइल स्विच ऑफ है, इसलिए बात नहीं हो पाई।

पाइल्स के ऑपरेशन बाद दी गई दवाएं और उनका काम

डायनापार (DynaparAQ): यह दर्दनिवारक इंजेक्शन है। खून बढ़ाने के लिए आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B12 युक्त Hematinic Syrup दिया गया। इसके अलावा दो दवाएं शेड्यूल-H1 की हैं, जिसमें महासैफ-200 (Mahacef) और मोनोसैफ (Monocef) इंजेक्शन शामिल हैं।

अब जानिए क्या है शेड्यूल-H1 दवा

आपको बता दें कि फार्मासिस्ट व केमिस्ट को लाइफ सेविंग मेडिसिन बेचने के लिए शेड्यूल एच के तहत लाइसेंस लेना पड़ता है। इसमें रिटेल मेडिकल स्टोर के लिए लाइसेंस 20-21 और होलसेलर्स के लिए 20बी-21बी का लाइसेंस कंपल्सरी है। जबकि लाइसेंस 20ए-21ए वाले केमिस्ट्स लाइफ सेविंग ड्रग बेचने के लिए ऑथराइज्ड नहीं होते।

यहां क्लिक कर पढ़ें: झोलाछाप डाक्टर ने किया पाइल्स का ऑपरेशन, दो दिनों तक निकला खून, चौथे दिन हुई युवक की मौत

शेड्यूल एच के तहत आने वाले रिटेल व होलसेल केमिस्ट्स के लिए जो नया रूल जारी किया गया है, वही शेड्यूल एच 1 है। इसमें लाइफ सेविंग मेडिसिन को बेचने से पहले उसका रिकॉर्ड तैयार करना कंपल्सरी है। बीएमओ डॉ. विवेक बिसेन ने बताया कि शेड्यूल-H की दवाएं रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिशनर ही लिख सकते हैं और इसे बिना प्रिस्क्रिप्शन के बेचा भी नहीं जाना चाहिए।

पोस्ट मार्टम रिपोर्ट का इंतजार

सोमवार को दोपहर जिला अस्पताल में पहले मृतक का कारोना टेस्ट किया गया, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई। फिर पोस्ट मार्टम करने के बाद शव परिजनों को सौंपा गया और वे उसे लेकर शाम तकरीबन साढ़े 5 बजे खैरागढ़ पहुंच गए हैं। अब पीएम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।

यहां क्लिक कर पढ़ें: झोलाछाप डाक्टर ने किया पाइल्स का ऑपरेशन, दो दिनों तक निकला खून, चौथे दिन हुई युवक की मौत

Rate this item
(1 Vote)
Last modified on Monday, 28 December 2020 19:18

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.