×

Warning

JUser: :_load: Unable to load user with ID: 807

पुलिस कांस्टेबल बने आज के साइबर मास्टर

रायपुर। राज्य में बरसों से चली आ रही लाठीटेक पुलिसिंग की तस्वीर इन पांच सालों में काफी बदल गई है। सोशल मीडिया और सूचना क्रांति के विस्तार के साथ ही पुलिस ने भी जांच का ढांचा पूरी तरह से बदल दिया है। यही कारण है कि प्रदेश में साइबर अपराध व हाइटेक क्राइम के केस में इन्वेस्टिेगशन के स्तर पर सुधार हो रहा है। पुलिस विभाग ने सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट के साथ ही डाटा एनालिसिस एंड सीडीआर इन्वेस्टिगेशन का मजबूत ढांचा तैयार कर लिया है, जबकि थानों में ऑनलाइन एफआइआर करने की नई व्यवस्था भी बना ली है।

तकरीबन दो सौ करोड़ रुपये की लागत से प्रदेशभर में हाइटेक इंतजाम किए गए हैं, जिनका फायदा अब देखने को मिल रहा है। कई उदाहरण सामने आए हैं, जब पुलिस हाइटेक अपराध होने पर अपराधियों के करीब पहुंच सकी है। स्मार्ट फार्मूले से फायदा यह भी हुआ है कि 10वीं पास होकर पुलिस विभाग की नौकरी करने वाले युवा साइबर एक्सपर्ट बनकर उभरे हैं।

 

ट्विटर में आइजी, ऑनलाइन एसएसपी चौकस

रायपुर जिले में हाइटेक पुलिसिंग की नई शुरुआत करते हुए आइजी दीपांशु काबरा ने ट्विटर में आम जनता की शिकायतें सुनने के लिए हैंडल एट द रेट आइजी रायपुर की नई व्यवस्था कायम की है। बता दें कि एसएसपी अमरेश मिश्रा इसके पूर्व क्राइम एंड क्रिम्नल डाटा बेस ऑनलाइन तैयार कर चुके हैं। किसी भी मामले में वांछित अपराधियों के बारे में ब्योरा लेना या फिर अपराध करने पर लोकेशन वाइस इन्वेस्टिगेशन आसान है।

 

60 पुलिसकर्मियों को साइबर ट्रेनिंग

रायपुर में छह माह पूर्व दिल्ली के साइबर एक्सपर्ट ने साइबर अपराध रोकने और मोबाइल तकनीक के जरिए अपराधियों की धरपकड़ की ट्रेनिंग दी। रायपुर जिले से 60 पुलिसकर्मी शामिल हुए। इस ट्रेनिंग के माध्यम से कंप्यूटर में डिप्लोमा करने वाले कांस्टेबल की छटनी कर उनकी नई जवाबदारी तय की गई।

 

सीसीटीएनएस से ऑनलाइन सिस्टम

- प्रदेश के 425 पुलिस थानों को इंटरनेट से जोड़ने की कवायद। 404 थानों में काम पूरा।

- सभी थानों से ऑनलाइन एफआइआर दर्ज करने कर तुरंत कॉपी देने की नई सुविधा शुरू।

- दुष्कर्म मामले में 60 दिन में चालान पेश करने एसएमएस मॉड्यूल। अधिकारियों को अलर्ट मैसेज।

वारंटी भी डिजिटल लॉकर में सुरक्षित

रायपुर जिले में एसएसपी अमरेश मिश्रा ने सभी वारंटियों को डिलीटल लॉकर में कैद करने इंतजाम किए हैं। मोबाइल फोन में एक खास तरह का साफ्टवेयर बनाकर वारंटियों का डाटा बेस बनाया जा रहा है। किस आरोपी के खिलाफ पूर्व में कितने वारंट जारी हो चुके, डाटा बेस तैयार होने के बाद तुरंत जानकारी मिलेगी। डाटा बेस पूरी तरह से तैयार करने में थोड़ा वक्त जरूर लग रहा, लेकिन इससे जांच में फायदा मिलेगा।

 

स्मार्ट पुलिसिंग के कांसेप्ट में और प्रयोग होंगे। सोशल मीडिया के जरिए भी लोग सीधे पुलिस से जुड़ सके। आए दिन अपराध के नए ट्रेंड सामने आ रहे हैं, इसके मद्देनजर मजबूत सुरक्षा इंतजाम करने प्रयास होंगे। - दीपांशु काबरा, आईजी रायपुर रेंज।

Rate this item
(0 votes)
Last modified on Monday, 13 January 2020 12:42

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.

Latest Tweets

RT @narendramodi: Speaking at the meeting with Chief Ministers. https://t.co/oJ5bhIpdBE
RT @HealthCgGov: आज 10,310 नए कोरोना पॉजिटिव मरीज़ों की पहचान हुई वहीं 2,609 मरीज़ स्वस्थ होने के उपरांत डिस्चार्ज/रिकवर्ड हुए। @TS_SinghD…
RT @AmitShah: Addressing media in Jagdalpur, Chhattisgarh. https://t.co/T7naPXH0Bc
Follow Ragneeti on Twitter